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मांगलिक दोष

मंगल दोष(भौम)/मांगलिक दोष

मंगल दोष

ज्योतिषशास्त्र में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है, जो व्यक्ति के वैवाहिक जीवन से जुड़ी मानी जाती है। यह दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह  यदि कुंडली के 1, 4, 7, 8, या 12वें भाव में होता है, तो इसेमंगल दोष(भौम)/मांगलिक दोष के रूप में माना जाता है। मंगल को ऊर्जा, साहस, आक्रामकता और महत्वाकांक्षा का ग्रह माना जाता है। इसलिए जब यह ग्रह इन भावों में होता है, तो यह वैवाहिक जीवन में तनाव या अस्थिरता पैदा कर सकता है।

लग्ने व्यये च पाताले जामित्रे चाष्टमे कुजे। कन्या भर्तुविनाशाय भर्ता कन्या विनाशकः।।“(मुहूर्त संग्रहदर्पण)

अर्थातः- जिस कन्या की कुण्डली में 1,4,7,8 या12 वें भाव में मंगल हो वह कन्या अपने पति के लिए कष्टकारी होती है। ठीक इसी प्रकार वर भी कन्या के लिए कष्ट कारक हो सकता है।

”लग्ने व्यये सुखे वाऽपि सप्तमे वाऽष्टमे कुजे। शुभ दृगयोग हीने च पतिं हन्ति न संशय।।“(पाराशर

होरा शास्त्र)

अर्थातः- लग्न, द्वादश, चतुर्थ सप्तम या अष्टम भाव में स्थित मंगल यदि किसी शुभ ग्रह से संबंध न करे, तो स्त्री के विधवा होनें की संभावना होती है, इसी प्रकार पुरूष के लिए भी समझना चाहिए।

मांगलिक दोष के कारण:

मंगल ग्रह को ज्योतिष में उग्र और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। यदि यह ग्रह निम्नलिखित भावों में स्थित हो, तो इसे मांगलिक दोष माना जाता है:

  1. पहला भाव (लग्न भाव) – स्वयं का जीवन।
  2. चौथा भाव – परिवार और सुख।
  3. सातवां भाव – विवाह और जीवनसाथी।
  4. आठवां भाव – दीर्घायु और मानसिक स्थिति।
  5. बारहवां भाव – शारीरिक सुख और मानसिक शांति।

इन भावों में मंगल की स्थिति को वैवाहिक जीवन में समस्याओं, झगड़ों, या तलाक का कारण माना जाता है।

मांगलिक दोष के प्रभाव:

  1. व्यक्तिगत जीवन पर:
    • व्यक्ति में गुस्सा, जिद्दी स्वभाव, और दूसरों के प्रति आक्रामकता बढ़ सकती है।
    • आत्म-विश्वास अधिक हो सकता है, लेकिन कभी-कभी यह अहंकार का रूप ले सकता है।
  2. वैवाहिक जीवन पर:
    • मंगल दोष
    • विवाह में देरी।
    • वैवाहिक जीवन में झगड़े, तनाव और असहमति।
    • तलाक या जीवनसाथी से अलगाव की संभावना।
    • कभी-कभी जीवनसाथी की सेहत या लंबी उम्र पर नकारात्मक प्रभाव।
  3. आर्थिक स्थिति पर:
    • मांगलिक दोष वाले व्यक्ति को धन की हानि या अनावश्यक खर्चों का सामना करना पड़ सकता है।

मांगलिक दोष के उपाय:

मांगलिक दोष के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ उपाय ज्योतिष में बताए गए हैं:

  1. मंगल दोष निवारण पूजा: विशेष मंदिरों में या किसी विद्वान ब्राह्मण द्वारा मंगल शांति पूजा करवाई जाती है।
  2. हनुमान जी की आराधना: मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ और राम भक्त हनुमान जी की पूजा से मंगल दोष के नकारात्मक प्रभाव कम हो सकते हैं।
  3. विशेष विवाह (कुंभ विवाह): मांगलिक दोष वाले व्यक्ति का पहले एक पेड़, मूर्ति, या किसी अन्य प्रतीकात्मक वस्तु से विवाह करवाया जाता है। इसे “कुंभ विवाह” कहा जाता है।
  4. रुद्राभिषेक: भगवान शिव की पूजा, रुद्राभिषेक, और महामृत्युंजय मंत्र का जाप लाभकारी होता है।
  5. मंगल यंत्र: मंगल यंत्र को घर में स्थापित करके रोज उसकी पूजा करना मंगल दोष के प्रभाव को कम कर सकता है।
  6. ग्रह शांति मंत्र: “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” का जाप रोजाना 108 बार करना शुभ होता है।
  7. सात्विक जीवन: अपनी जीवनशैली में सात्विकता अपनाएं और गुस्से को नियंत्रित रखें।

मांगलिक दोष के निवारण के लिए उपाय (विस्तार से):

धार्मिक उपाय:

  1. विशेष पूजा-पाठ:
  • विशेष मंदिरों में या किसी विद्वान ब्राह्मण द्वारा मंगल शांति हेतु मंगलनाथ मंदिर उज्जैन में पूजा करवाई जाती है।
    • मंगल ग्रह की शांति के लिए विशेष पूजा करें, जैसे मंगल यंत्र की स्थापना और पूजा।
    • “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
    • हनुमान चालीसा, सुंदरकांड का पाठ करें।
  1. कुंभ विवाह:
    • मांगलिक दोष वाले व्यक्ति को पहले एक प्रतीकात्मक विवाह करना चाहिए, जैसे कि वृक्ष, मूर्ति, या किसी धातु की वस्तु से।
  2. शिव पूजा:
    • भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करें।
    • “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप करें।
  3. मंगल यंत्र:
    • मांगलिक व्यक्ति को अपने घर में मंगल यंत्र स्थापित करना चाहिए और रोज इसकी पूजा करनी चाहिए।

आचरण और जीवनशैली में बदलाव:

  1. गुस्से पर नियंत्रण:
    • अपनी भावनाओं और आक्रामकता पर संयम रखें। शांत और समझदार स्वभाव अपनाएं।
  2. सात्विक जीवन:
    • शराब, मांसाहार और अन्य नकारात्मक आदतों से दूर रहें।
  3. दान-पुण्य:
    • मंगलवार के दिन गरीबों को लाल वस्त्र, मसूर की दाल, या गुड़ दान करें।

सामाजिक उपाय:

  1. मांगलिक से विवाह: यदि दोनों जीवनसाथी मांगलिक हैं, तो यह दोष प्रभावी नहीं होता है और नकारात्मक ऊर्जा संतुलित हो जाती है।
  2. ज्योतिषीय समाधान: कुंडली का गहराई से विश्लेषण करवाएं। कभी-कभी योगों के मेल से मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो सकता है।

क्या मंगल/मांगलिक दोष का हर किसी पर समान प्रभाव होता है?

  • कुंडली के अन्य ग्रहों का प्रभाव: अगर कुंडली में गुरु, शुक्र, या चंद्रमा जैसे शुभ ग्रह मजबूत स्थिति में हैं, तो मांगलिक दोष का प्रभाव कम हो सकता है।
  • व्यक्तिगत परिपक्वता: व्यक्ति का स्वभाव और जीवन के प्रति दृष्टिकोण भी दोष के प्रभाव को प्रभावित कर सकता है।
  • जीवनसाथी की कुंडली का महत्व: मांगलिक दोष का प्रभाव जीवनसाथी की कुंडली की स्थिति पर भी निर्भर करता है।

  मंगल दोष का परिहार “भंग” (नष्ट) होना:

कुछ विशेष परिस्थितियों में मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है:

व्यये च कुजदोषः कन्यामिथुनयोर विना। द्वादशे भौमदोषस्तु वृषतौलिकयोर विना ।।

अर्थात:- व्यय भाव में मंगल यदि बुध तथा शुक्र की राशि में स्थित हो तो मंगल दोष नही होता है।

 अजे लग्ने व्यये चापे पाताले बृश्चिके स्थिते। वृषे जाये घटे रन्ध्रे भौम दोषो न विद्यते।।

अर्थातः- मेष राशि लग्न में, द्वादश में धनु राशि, चतुर्थ में बृश्चिक राशि, सप्तम में वृष राशि और अष्टम में कुम्भ राशि में मंगल स्थित हों, तो मंगल दोष नही होता है।

द्यूने मीने घटे चाष्टौ भौम दोषो न विद्यते (मुहूर्त चिंतामणी)

अर्थातः- मीन राशि का मंगल सप्तम (7th) भाव में तथा कुम्भ राशि का मंगल अष्टम (8th) भाव में हो तो भौम दोष नही होता है।

‘’अजे लग्ने व्यये चापे पाताले बृश्चिके कुजे। द्यूने मृगे कर्किचाष्टौ भौमदोषो न विद्यते।।‘’(मुहूर्त पारिजात)

अर्थातः- प्रथम भाव अर्थात लग्न में मेष राशि का मंगल, चौथे भाव में बृश्चिक राशि का मंगल, सप्तम भाव में मकर राशि का मंगल, अष्टम भाव में कर्क राशि का मंगल, बारहवें भाव में धनु राशि का मंगल हो तो मंगल दोष नही होता।

एक की कुंडली में मंगल दोष हो और दुसरे की कुंडली  में उसी भाव में मंगल, शनि या पापग्रह हो तो मंगल दोष भंग हो जाता है

मंगल स्वराशी या उच्च का हो ,वक्री नीच,अस्त हो तो मंगल दोष नहीं लगता 

उपरोक्त श्लोकों  और उदारणों से पता चलता है, कि किसी विशेष भाव में मंगल दाम्पत्य जीवन के लिए कष्ट कारक है, पर साथ ही यह भी बताया गया है, कि उन्हीं भावों में एक विशेष स्थिति में मंगल कष्टकारक नही है या मंगलदोष नही होता है । हमारे शास्त्रों में मंगल दोष परिहार भंग हेतु कई नियम है इसलिए विवाह विचार के समय मंगल दोष देकर भ्रमित नहीं होना चाहिए वल्कि विद्वान ज्योतिषाचार्य की सलाह लेनी चाहिए

 मांगलिक दोष के उपाय (आधुनिक दृष्टिकोण से):

कर्म और स्वभाव में सुधार:

  • मांगलिक दोष से प्रभावित व्यक्ति को अपने गुस्से और आक्रामकता पर नियंत्रण रखना चाहिए।
  • रिश्तों में संवाद और सहानुभूति का अभ्यास करें।
  • किसी भी विवाद या असहमति को शांतिपूर्वक हल करने का प्रयास करें।

मांगलिक दोष को स्वीकार ने दृष्टिकोण:

 मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ाव:

मांगलिक दोष से जुड़ी ज्योतिषीय धारणा अक्सर व्यक्ति की मानसिक स्थिति को प्रभावित करती है। अगर किसी को बताया जाए कि वह मांगलिक है, तो यह उनके आत्मविश्वास और वैवाहिक जीवन के प्रति नजरिये को प्रभावित कर सकता है।

सामाजिक मान्यताएं:

  • कई बार मांगलिक दोष के कारण विवाह में देरी केवल सामाजिक धारणाओं के कारण होती है।
  • यह जरूरी है कि ज्योतिषीय उपायों को अधिक वैज्ञानिक और तर्कसंगत दृष्टिकोण के साथ अपनाया जाए।

        मांगलिक दोष को लेकर चिंता करना स्वाभाविक है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि हर दोष का समाधान मौजूद है। ज्योतिषीय उपायों के साथ-साथ अपने व्यवहार और सोच में सकारात्मकता लाना बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप अपनी कुंडली का विस्तृत विश्लेषण करवाना चाहते हैं, तो आप हमसे परामर्श लें सकते है

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